A Secret Weapon For हनुमान चालीसा
A Secret Weapon For हनुमान चालीसा
Blog Article
सामग्री पर जाएँ मुख्य मेन्यू मुख्य मेन्यू
भावार्थ — हे हनुमान जी ! आपके पास कोई किसी प्रकार का भी मनोरथ [ धन, पुत्र, यश आदि की कामना] लेकर आता है, (उसकी) वह कामना पूरी होती है। इसके साथ ही ‘अमित जीवन फल’ अर्थात् भक्ति भी उसे प्राप्त होती है।
ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं, विष्णु की चार भुजाएं हैं व शिव की दस भुजाएं बहत सुंदर लगती हैं।
भावार्थ– आप भगवान् शंकर के अंश (अवतार) और केशरी पुत्र के गणपति आरती नाम से विख्यात हैं। आप (अतिशय) तेजस्वी, महान् प्रतापी और समस्त जगत्के वन्दनीय हैं।
भावार्थ– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया। इस कार्य से प्रसन्न होकर भगवान् श्री राम ने आपको हृदय से लगा लिया।
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। शिव कर में त्रिशूल धर्ता।
अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
श्री हनुमान चालीसा - जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
इन सभी लाभों के साथ, शिव जी की आरती का पाठ करने से व्यक्ति आत्मा के उद्देश्य की प्राप्ति में मदद मिलती है और वह एक उद्धारणशील और धार्मिक जीवन जीने में समर्थ होता है।
व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
Report this page